स्रोत या स्त्रोत, सहस्र या सहस्त्र

हिन्दी में तत्सम अस्त्र, शस्त्र, स्त्री, वस्त्र, आदि बहुत प्रचलित हैं जिनमें ‘स्र’ नहीं, ‘स्त्र’ है। ‘स्र’ वाले अजस्र, स्राव, हिंस्र जैसे शब्द कम प्रचलित हैं। इस भ्रम से स्रोत ‘स्त्रोत’ हो गया है और सहस्र ‘सहस्त्र’।

श्रोत, श्रोत्र, श्रोता, श्रौत्र भिन्न शब्द हैं। श्रोत, श्रोत्र ‘श्रुति’ से बने हैं - अर्थ है कान, श्रवणेन्द्रिय। इन्हीं से श्रोता (सुनने वाला) बनता है। श्रुति वेदों को भी कहा जाता है। श्रुति से शब्द बना है श्रौत अर्थात श्रुति (वेद) सम्बन्धी, श्रुति को मानने वाले।

देखा जाए तो स्र और स्त्र की लिखावट में कुछ समानता दृष्टिगोचर आती है। अतः उनकी व्युत्पत्ति से अपरिचित लोग केवल आकृति का अनुकरण कर त्रुटियाँ करते हैं । व्युत्पत्ति न जानने के कारण बहुतेरे लोग श्र को भी एक स्वतंत्र वर्ण मानते हुए श्रृंगार जैसे अशुद्ध प्रयोग करते हैं।

पूरी बात ब्लॉग पर देखें

4 Likes

स्रोत्र, स्त्रोत्र आदि शब्दों के उच्चारण और वर्तनी को लेकर भी काफ़ी दुविधा और गलत्तियाँ देखने को मिलती हैं। ज्ञानवर्धक लेख👌

3 Likes