सावधान का सन्धि विच्छेद क्या होगा?
लीजिए… प्रस्तुत है सावधान शब्द का सन्धि विच्छेद—
- सावधान— सन्धि-विच्छेद
- स + अवधान = सावधान
- अ + अ = आ सूत्र—
अकः सवर्णे दीर्घः
नियम—यदि हृस्व या दीर्घ अक् अर्थात् अ, इ, उ, ऋ
के बाद पुनः वही हृस्व या दीर्घ वर्ण (सवर्ण परे हो) आए तो दोनों के स्थान पर दीर्घ रूप एकादेश हो जाता है।
स = सहित
अवधान = ध्यान
- अ + अ = आ — स + अवधान = सावधान
- अ + आ =आ — हिम + आलय = हिमालय
- आ + आ =आ — महा + आत्मा = महात्मा
- आ + अ =आ — महा + अद्रि = महाद्रि
इसी तरह इ, उ, ऋ
आदि पर भी यह नियम लागू होता है।
उदाहरण—
- मुनि + ईश = मुनीश
- भानु + उदय = भानूदय
- पितृ + ऋणम् = पितृणम् (दीर्घ ॠ…इसमें नीचे ऋ का घुमाव दो बार होता है)
लृ प्रायः संस्कृत में प्रयुक्त स्वर है, इसका दीर्घ रूप नहीं होता।
सधन्यवाद