शाप या श्राप ??
व्याकरण की दृष्टि से शाप तथा श्राप में किसे शुद्ध माना जाए? उत्तर होगा शाप को। यह शप्
से बना मूल तत्सम है। संस्कृत में श्रप्
कोई शब्द नहीं है जिससे श्राप बने। इसलिए इसे तद्भव भी नहीं माना जा सकता। यह अधिक व्युत्पादक नहीं है अर्थात संयुक्त और यौगिक शब्द शाप से ही निर्मित हैं। जैसे
- शप्त
- अभिशाप
- अभिशप्त
- शापित
- शाप मुक्ति
- शापमोचन
- शापोद्धार
आदि शब्दों के वैकल्पिक रूप श्राप से नहीं बनाए जा सकते। इसलिए भी शाप को ही व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध माना जाएगा।
अपभ्रंश व्याकरण के एक नियम के अनुसार रेफ (रकार) मनमाने रूप से कहीं भी आ सकता है उसके आधार पर शाप को श्राप बनाया जा सकता है। यदि इसे सही मानें तो भी कहना पड़ेगा कि नियम भङ्ग कर अपभ्रंश से हिन्दी में पधारे ‘श्राप’ ने शुद्ध तत्सम ‘शाप’ को ही शाप देकर बाहर कर दिया है। इसलिए शापोद्धार करना आवश्यक है।