व्यावहारिक" और “व्यवहारिक” में से कौन सा शब्द व्याकरण की दृष्टि से सही है?
हिंदी भाषा में शब्द निर्माण की प्रक्रिया में उपसर्ग और प्रत्यय का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है| उपसर्ग और प्रत्यय नए शब्द बनाते हैं तथा उनके अर्थ में किंचित या पूर्ण रूप से परिवर्तन भी करते हैं |
प्रस्तुत सवाल में व्यवहारिक और व्यावहारिक दोनों ही शब्दों में से कौन सा उपयुक्त है…यह पूछा गया है |
जवाब में मैं यह कहती हूँ कि व्यावहारिक शब्द सही है और व्यवहारिक गलत है|
ऐसा इसलिए….क्योंकि…
ऐसे शब्द जिनके अंत में इक प्रत्यय को जोड़कर नये शब्द बनाए जाते हैं ,उनमें मूल शब्द का प्रथम( आदि) स्वर वृद्धि को प्राप्त कर लेता है |
संस्कृत में वृद्ध संज्ञा जिन स्वरों की दी गई है वे हैं-- आ ,ऐ,औ |
आदि/प्रथम स्वरों के वृद्धि में परिवर्तन की प्रक्रिया–
अ, ऋ के स्थान पर आ ( ऋ के लिए आर्)
इ, ई, ए के स्थान पर ऐ
उ, ऊ के स्थान पर औ
- अ–> आ उदाहरण—समाज+ इक=सामाजिक, धर्म +इक= धार्मिक, समय+ इक=सामयिक |
- ऋ–हृद+ इक=हार्दिक
- इ, ई,ए–> ऐ उदाहरण—विज्ञान+इक= वैज्ञानिक, इतिहास+इक = ऐतिहासिक, नीति+इक= नैतिक, जीव+ इक=जैविक, देह+ इक=दैहिक||
- उ, ऊ-- >औ उदाहरण—उपनिवेश+इक= औपनिवेशिक, उपचार+इक= औपचारिक, भूगोल+इक = भौगोलिक, भूत+इक = भौतिक |
इस आधार पर यह स्पष्ट होता है कि व्यावहारिक शब्द ही सही अर्थात् शुद्ध वर्तनी वाला है|
व्यवहार+इक = व्यावहारिक
नोट :— अ प्रथम स्वर के बाद र् होने पर इक प्रत्यय लगने पर आदि स्वर में कोई परिवर्तन नहीं होता|
जैसे—स्वर्ग + इक = स्वर्गिक |
–© लेखिका