माइक्रोवेव उपकरण में गर्म हो रहे भोजन में हीटर की तरह ऊष्मा बाहर से नही आती बल्कि भोजन के अंदर ही उत्पन्न होती है . माइक्रोवेव उपकरण के भीतर माइक्रोवेव के अतिरिक्त अक्सर एक ओवन भी आता है जो वस्तुत एक हीटर ही होता है . इसका प्रयोग करते समय ऊष्मा भोजन के बाहर से अर्थात हीटर से आती है . एक समय आप ओवन या माइक्रोवेव में से एक का या दोनो का मिश्रित प्रयोग करते हैं . ओवन का प्रयोग ग्रिल या कन्वेक्शन मोड़ पर होता है और माइक्रोवेव का प्रयोग माइक्रोवेव मोड़ पर होता है। आगे जब हम माइक्रोवेव शब्द का प्रयोग करेंगे तो ये मानकर करेंगे कि आप ओवन का प्रयोग नही कर रहे हैं .
माइक्रोवेव में विद्युत चुम्ब्कीय तरंगो द्वारा विद्युत प्रेरण का प्रयोग करके ऐसी चीजो में विद्युत धारा उत्पन्न की जाती है जिनमे नमी है . लगभग सभी भोज्य पदार्थो में नमी होती है . भोजन के अंदर के पानी में विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है जिससे उसके अंदर का पानी गर्म हो जाता है भोजन भी गर्म हो जाता है . दूसरे शब्दों के कहा जा सकता है भोजन का हर कण खुद की गर्मी उत्त्पन्न करता है। कोई बिल्कुल सूखी चीज (जैसे कागज ) माइक्रोवेव में गर्म नहीं होगी वैसे हवा में थोड़ी बहुत नमी होती ही है तो खाली माइक्रोवेव भी थोड़ा गर्म हो ही जाता है । इससे गर्म भोजन में ये समस्या नही हैं कि भोजन के अंदर गर्मी पहुंची या नही क्योकि गर्मी भोजन के अंदर ही उत्पन्न होती है . पके हुए चावल , समोसा इत्यादि को आप बिना कढ़ाई तेल के गर्म कर सकते हैं। बाहर से उबाले मोटे आलू अंदर से कच्चे रह जाते हैं , लेकिन माइक्रोवेव से उबाले गए आलू में ऐसा नहीं होगा।
वैज्ञानिक दृष्टि से देखने वालों के लिए ये स्पष्ट कर दूँ कि ऊर्जा दोनों में बाहर से आ रही है , लेकिन ऊर्जा का ऊष्मा में परिवर्तन एक में भोजन के बाहर और एक में भोजन के अंदर हो रहा है। ऊर्जा और ऊष्मा में अंतर पर ध्यान दें।
इस बात की सम्भावना तो कम है कि इस विधि से गर्म किया गया भोजन हानिकारक हो . लेकिन माइक्रोवेव उपकरण आपके लिये हानिकारक हो सकता है यदि उसके द्वार पर लगी लोहे की जाली टूट जाए या खराब हो जाए . ये जाली विद्युत चुम्ब्कीय तरंगो को बाहर आने से रोकती है , यदि विद्युत चुम्ब्कीय तरंगे बाहर आती हैं तो और आप निकट हैं तो आपके शरीर पर दुष्प्रभाव हो सकता है . आप उपकरण के पास खडे ना रहे तो अधिक सुरक्षित रहेंगे .
दूसरी बात एक सही माइक्रोवेव उपकरण से भी करीब पाँच प्रतिशत तक रेडिएशन बाहर आ सकता है , जिसे सुरक्षित माना जाता है। लेकिन कहीं पर यदि दस माइक्रोवेव उपकरण एक साथ चल रहे हो तो वो स्थान कितना सुरक्षित है कहा नहीं जा सकता।
विश्व में इस बात पर तो चर्चा है कि माइक्रोवेव उपकरण कितना हानिकारक हो सकता है। लेकिन इसमें गर्म किए भोजन के हानिकारक होने पर अभी कोई चर्चा नहीं है। भोजन की गुणवत्ता में कमी का भी कोई प्रमाण नहीं है।
ये विषय तो नहीं है लेकिन माइक्रोवेव पर ही चार पाँच उत्तरों में बात पूरी करना सही नहीं रहेगा। इसलिए कुछ और खास बातें।
सुरक्षित बर्तनों के प्रयोग:
माइक्रोवेव मोड का प्रयोग करते समय धातु के बर्तनो का प्रयोग नही करना चाहिये क्योकि धातु में भी विद्युत धारा उत्पन्न हो जाएगी और चिंगारी उत्पन्न हो सकती है या धातु बहुत गर्म भी हो सकती है . इसमें धातु की बनी फॉयल का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। चीनी मिट्टी या काँच के बर्तनो के प्रयोग सही है। प्लास्टिक के बर्तन का भी प्रयोग हो सकता है , लेकिन मैं व्यक्तिगत तौर पर प्लास्टिक के कहीं भी प्रयोग से बचने की सलाह दूँगा। लेकिन ओवन मोड पर हीटर चलेगा तो धातु का प्रयोग हो सकता है , इस मोड में प्लास्टिटिक के प्रयोग से बचे .
नीचे के चित्र में उपकरण के अंदर एक लोहे की जाली रखी है। इसका अर्थ है माइक्रोवेव का नहीं , ओवन का प्रयोग हो रहा है ।
कब किस प्रकार के बर्तन का प्रयोग करना है , बहुत भ्रामक हो सकता है। उसके लिए ये सारणी है। हम देख सकते हैं उच्च गुणवत्ता के चीनी मिट्टी और काँच के बर्तन हर मोड़ में प्रयोग हो सकते हैं। प्लास्टिक और धातु के लिए ऐसा नहीं है।
क्या माइक्रोवेव में भोजन एक समान गर्म होता है ?
सामान्यतः ऊष्मा किस प्रकार वितरित हो रही है ये समस्या नहीं आती लेकिन ये आवश्यक नहीं भोजन एक सामान रूप से गर्म हो। भोजन में यदि नमी का वितरण असमान है तो भोजन के अलग अलग भाग अलग अलग स्तर पर गर्म हो सकते हैं। लेकिन भोजन के एक भाग से गर्मी दूसरे में स्वतः भी जा सकती है। यदि आपने तरल पदार्थ को दो या तीन अलग अलग प्यालों में रख कर गर्म किया है तो उनमे से कुछ प्यालों का तरल अन्यों से अधिक गर्म हो सकता है। भोजन का जो भाग माइक्रोवेव तरंग के लिए अधिक सुचालक है वो अधिक गर्म हो सकता है।
ये बात बहुत विचित्र लग सकती है लेकिन भोजन कितना गर्म होगा ये इस पर भी निर्भर है कि उसके अंदर माइक्रोवेव तरंग की तरंगदैर्ध्य (लम्बाई ) कितनी है। वैसे ये समस्या अंगूर के आकार का छोटा भोजन होने तक नहीं आती। हवा में माइक्रोवेव तरंग की लम्बाई लगभग १२ सेंटीमीटर है और भोजन के अन्दर लगभग २ सेंटीमीटर।
अंदर से गर्म होने और बाहर से गर्म होने का स्वाद पर प्रभाव
दूध , पानी , दाल , चावल जैसी कुछ चीजों में इस बात का फर्क नहीं पड़ता कि गर्मी उस चीज के बाहर से आ रही है या अंदर से। लेकिन कुछ चीजों का स्वाद उनको कुरकुरा तले जाने के कारण ही आता है , जैसे फ्रेंच फ्राई या जलेबी।
इनको माइक्रोवेव मोड़ में गर्म करने से ये अंदर से बाहर की और गर्म होंगी और कुरकुरापन समाप्त हो जायेगा। इनको ओवन में ही गर्म करने का प्रयास करें।