मनुष्य शब्द की व्युत्पत्ति मूल धातु शब्द मन् से हुई है। मनुष्य के अतिरिक्त मानुष, मनुज, तथा मानव शब्दों की व्युत्पत्ति एक ही मूल मन् से हुई है।
धातुपाठ के अनुसार इस यह धातु निम्न अर्थो में प्रयोग होती है :—
मन् मनँ ज्ञाने दिवादिः, आत्मनेपदी, सकर्मकः, अनिट् (जानना, समझना, विश्वास करना, सोचना, ज्ञान होना) — धातुपाठ ४.७३ (कौमुदीधातुः-११७६)
मन् मनुँ अवबोधने तनादिः, आत्मनेपदी, सकर्मकः, सेट् (जानना, समझना, विचार करना, मानना, मान देना, सोचना, अवधारणा बनाना, अवबोध होना) — धातुपाठ ८.९ (कौमुदीधातुः-१४७१)
मन् मनँ स्तम्भे चुरादिः, आत्मनेपदी, अकर्मकः, सेट् (घमण्ड करना, अहंकारी होना, अभिमान करना, स्थिर होना) — धातुपाठ १०.२३४ (कौमुद्याम् अविद्यमानः)
इसी धातु से व्युत्पन्न है मनु (मन्-उ); जिसका मूल अर्थ है विचारशील, बुद्धिमान, प्रज्ञावान, मनीषी; नृवंश के आदिपुरुष को इन्हीं गुणों के कारण यह नाम दिया गया है।
मनुष्य शब्द की व्याख्या है “मनोरपत्यम् मनोर्जातावञ्यतौ षुक्च” (उणादि); मन का अधिपति; जिसे षुक् प्रत्यय लगा कर जातिवाचक सञ्ज्ञा बनाया गया है।
मानुष शब्द की व्याख्या है “मनोरयम् अण् सुक् च”; जो वैचारिक शक्ति से चलता है; इसे उ, अण्, तथा सुक प्रत्यय लगाकर जातिवाचक सञ्ज्ञा बनाया गया है।
मनुज (मनोर्जात इति । जन् + डः ।); जो किसी विचारशील, बुद्धिमान, प्रज्ञावान, मनीषी प्राणी से जन्मा हो वह मनुज है। इसे उ तथा डः प्रत्यय लगाकर जातिवाचक सञ्ज्ञा बनाया गया है।
मानव (मनोरपत्यम् मनोर्गोत्रापत्यं वा पुमान् । मनु + अण् ।) जो किसी विचारशील, बुद्धिमान, प्रज्ञावान, मनीषी प्राणी के गोत्र का हो वह मानव है। इसे उ तथा अण् प्रत्यय लगाकर जातिवाचक सञ्ज्ञा बनाया गया है।
मन शब्द भी इसी मूल से; मनः, (मन्यते सुरभित्वादिगुणेन आद्रियत इति । मन् + घः ।) घः प्रत्यय लगाकर सोचने, विचारने के गुणों वाले अङ्ग के लिए रचा सञ्ज्ञावाचक शब्द है।
इसके अतिरिक्त जन्तु (जो जनन करता हो) के समान रूप से मन्तु (जो मनन करता हो; मन्तुः, (मन्यते इति । मन् + “कमिमनिजनिगाभायाहिभ्यश्च ।” उणा ० । १ । ७३ । इति तुन् ।)) शब्द भी मनुष्यों के लिए प्रयोग करते हैं। किन्तु मन है इसलिए हम अभिमान भी करते हैं।
(चित्र स्रोत : Imagination and Reality Look Different in the Brain )
अतः यह सभी शब्द मन धातु से रचे; तथा मनु से सम्बन्धित शब्द हैं। जिन्हे, विचारशील, प्रज्ञावान, सोच-समझ कर कार्य करने वाले प्राणी, नृवंशियों (हमारे लिए) प्रयोग किया जाता है। यह आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए कि हम homo-sapiens (होमो-सेपियन्स) के रूप में जाने जाते हैं; सोचने वाले विचारशील कपि।
मनु, मानव, मनुष्य, मनुज, मानुष, आदि विचार मनुस्मृति से जुड़े मनु से कहीं अधिक प्राचीन हैं। इस कारण हमें मानव-जाति के लिए भारोपीय संस्कृति में अनेक बन्धु-शब्द मिलते है जोकि मनन-चिन्तन के अर्थ वाले शब्दों के मूल से सम्बद्ध हैं।
मन् धातु से रचे कुछ अन्य शब्द मन, मानस, मान, मानसिक, अभिमान, अपमान, मनस्वी, मनस्विनी, मन्यु, अभिमन्यु, मनोज, मनोहर, मनोरम, आदि अनेक ऐसे शब्द हैं जो मन् धातु से व्युत्पन्न हैं।
सोचने, विचारने, समझने की क्रिया के लिए परिकल्पित भारोपीय मूल शब्द है *men-; इस मूल से यह शब्द बने हैं :—
संस्कृत मनु, मनुष्य, आदि के अर्थ में बन्धु शब्द :
- ईरानी भाषाएँ :
- अवेस्तन : 𐬨𐬀𐬥𐬎𐬱 (मनुश)
- नूरिस्तानी भाषाएँ :
- कामवीरी, कातवीरी : मंशे
- प्रसुनी : मुश, मूशू
- वैघाली : मुशे
- ग्रीक : Ἀμαζών (अमाज़ोन)
- जर्मानिक भाषाएँ
- अंग्रेज़ी : पुरानी अंग्रेजी में mann, ᛗ (m), man, monn, mon, manna, आदि से mon, man, manne, mæn, monne, आदि में रूपान्तरित होते हुए आधुनिक अंग्रेजी में man (मैन) के रूप में मानकीकरण।
- स्कॉट्स, स्वीडिश, डेनिश : man (मान)
- फ़्रिसियन, पुरानी सेक्सॉन, नार्वेजियन बॉकमॉल : maan(मान),
- डच, लिम्बुर्घिश, जर्मन, किम्ब्रियन : man (मान)
- बावेरियन : mon (मोन)
- जर्मन, नोर्न, नार्वेजियन : Mann (मान्न)
- यिद्दिश : מאַן (मान)
- आइसलैंडिक, फेरोई : maður (मादुर)
- गोथिक : 𐌼𐌰𐌽𐌽𐌰 (मन्ना)
- स्लावी भाषाएँ :
- चेक, स्लोवाक, सोर्बियन, बोहेमियन : muž
- पोलिश : mąż
- रुसी, बेलारूसी, रुस्यन, उक्रेनी : муж (muž)
- पुरानी चर्च स्लावोनी : мѫжь (मोज़ी)
- बल्गेरियाई : мъж (माज़)
- मॅकडोनियन : маж (माज़)
- सर्ब-क्रोत : му̑ж (मुज़)
- Slovene: mọ̑ž (मोज़)
संस्कृत मनस् (मन) के कुछ भारोपीय बन्धु शब्द यह हैं :—
- अंग्रेजी : mind (माइंड)
- डेनिश : minde (मिन्दे - स्मृति),
- आइसलैंडिक : minni (मिन्नी - स्मृत, स्मृति),
- गोथिक : 𐌼𐌿𐌽𐌳𐍃 (मुन्द्स - स्मृति, मानस)
- लैटिन : mēns (मेन्स - “तर्क, कारण”),
- ग्रीक : μένος (मेनोस - स्मृति, मानस),
- अल्बानियाई : mënd (मेन्द - “मानस, कारण”).
- अवेस्तन : 𐬨𐬀𐬥𐬀𐬵 (मनः)
© अरविन्द व्यास, सर्वाधिकार सुरक्षित।
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