अभी किसी प्रश्न में पूछा गया है कि पारिभाषिक शब्द और सामान्य शब्दों में क्या अन्तर होता है?
इस प्रश्न के उत्तर के आरम्भ में यह स्पष्ट करना चाहती हूँ कि…….ये ‘संक्षेपण’ एवं ‘पल्लवन’ जैसे शब्द ही पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं।
सर्वप्रथम ‘संक्षेपण’ को स्पष्ट किया जाये—
‘संक्षेप’ का अर्थ होता है — छोटा
अतः किसी वर्ण्य-सामग्री को कम शब्दों के उपयोग से कम शब्दों में प्रस्तुत किया जाये, जिसमें उस विषय का पूर्ण भाव एवं उद्देश्य स्पष्ट भी रह सके तो इस प्रक्रिया को “संक्षेपण” कहते हैं।
दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि जब किसी कविता / कहानी आदि के विस्तृत भाव को साररूप में कम शब्दों में कह दिया जाना ही संक्षेपण है।
संक्षेपण को समासरूप में भी समझा जा सकता है।
यथा— 'मृग के समान सुन्दर नेत्रों वाली स्त्री ’ को संक्षिप्त रूप से एक शब्द में कह देना — मृगनयनी।
ध्यातव्य विस्तृत कलेवर का ही संक्षेपण होता है।
पल्लवन
पल्लव का अर्थ होता है— पेड़-पौधों के पत्ते।
जब पेड़-पौधों में पत्ते निकलने लगते हैं तो पहले दो निकलते हैं…फिर चार…फिर छः…फिर आठ, दस, बीस करते करते सैकड़ों की संख्या तक पहुँच जाते हैं।
ये पेड़-पौधों के पत्तों का क्रमशः बढ़ना ही पल्लवन कहलाता है।
प्रतीकार्थ— किसी भी वस्तु (तत्व) की वृद्धि ही पल्लवन कहलाती है।
जिस तरह से विस्तृत वर्ण्य विषय का संक्षेपण करके उसे छोटा बनाया जाता है, उसी प्रकार कुछ विषयों को जो मूलतः साररुप में ही लिखे गये हों उसका पल्लवन करके उसे विस्तार प्रदान किया जाता है।
उदाहरणार्थ — वैयाकरण पाणिनि द्वारा रचित व्याकरण ग्रन्थ “अष्टाध्यायी” को बाद में परवर्ती वैयाकरणों द्वारा क्रमशः “सिद्धांत कौमुदी”, “लघुसिद्धांत कौमुदी”, “मध्यसिद्धांतकौमुदी” आदि के द्वारा पल्लवन किया गया।
प्रश्न—संक्षेपण और पल्लवन में क्या अन्तर है?
उत्तर— विस्तृत विषयवस्तु को साररूप में छोटा करना संक्षेपण और लघु अथवा सूत्र रूपी विषयवस्तु को विस्तृत रूप देना ही पल्लवन कहलाता है।
अर्थात् दोनों ही एक दूसरे के विपरीतार्थक हैं। इनके कार्य एक दूसरे के विपरीत हैं।
धन्यवाद