निरति — शब्द 'नि'
उपसर्ग पूर्वक 'रति'
मूल शब्द से बना है।
इस का अर्थ होगा — संलग्नता, लगाव, कर्मशीलता।
उदाहरण —
कर्मशील मनुष्यों की अपने कर्मों में निरति होती है।
सुरति — शब्द 'सु'
उपसर्ग पूर्वक 'रति'
मूल शब्द से बना है।
अर्थ
संस्कृत साहित्य के अनुसार (आधार ग्रन्थ — कादम्बरी)
काम-क्रीड़ा अथवा ब्रह्मसाक्षात्कार की अनुभूति।
हिन्दी साहित्य के अनुसार
स्मृति, याद, प्रेम।
सूरसागर
“जबहिं सुरति आवत वा सुख की।”
मूल शब्द रति प्रेम के अनेकानेक रूप को प्रकट करने में समर्थ है।
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