देवनागरी सैद्धांतिक तौर पर विश्व की स्पष्टतम लिपि है और इस कारण सरलतम लिपि भी है।
अंग्रेजी पर दिन रात श्रम हो और देवनागरी पर एक दिन भी श्रम करना पड़ जाए तो कठिन हो गई। यदि ऐसा है आपके लिए हिंदी भाषा नहीं है , आप अंग्रेजी का प्रयोग करें। हिंदी रोमन में नहीं लिखी जाएगी , क्योंकि रोमन में लिखी हिंदी भी आपके लिए कठिन ही बनी रहेगी। फिर आप कहेंगे की इन शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी शब्दों का ही प्रयोग होने लगे तो अच्छा है। अरे भाई , अंग्रेजी सरल है तो आप अंग्रेजी भाषा का प्रयोग क्यों नहीं करते , कोई रोक रहा है आपको अंग्रेजी का प्रयोग करने से ? हिंदी को रोमन में क्यों लिखना है ?
इस प्रश्न पूछने वाले से मेरा प्रश्न ये है कि आपने कितने अंग्रेजी शब्दों के अर्थ अब तक खोजे हैं या शब्दकोश में देखें हैं और उसकी तुलना में कितने हिंदी शब्द आपने खोजे या देखें हैं। जिस विषय पर आप ध्यान ही नहीं देते उसे किसी अन्य उपाय से सरल बनाने का विचार काम नहीं करने वाला।
ये अपेक्षा छोड़ दें कि अपनी लिपि है तो पढ़ने लिखने की आवश्यकता ही नहीं , सोते सोते ही सीख लेंगे।
रोमन लिपि बहुत ही भ्रामक है यदि रोमन लिपि में हिंदी लिखी तो मज़ाक के अतिरिक्त कुछ और नहीं होगा।
कुछ उदाहरण लेते हैं।
१ बताइये ये शब्द क्या पढ़ा जाएगा : GUN
गन अर्थात बन्दूक ही ना।
लेकिन हिंदी को रोमन में लिखते समय इस वाक्य का क्या अर्थ होगा ?
- ladko ki shakl nahi unke gun dekhne chahiye.
लिखने वाला गुण लिखना चाह रहा है और पढ़ने वाला गन पड़ेगा तो हास्यास्पद हो जाएगा।
इसको दो तरह से पढ़ा जा सकता है।
- लड़कों की शक्ल नहीं उनकी गन देखनी चाहिए
- लड़कों की शक्ल नहीं उनके गुण देखने चाहिए।
सस्ते मजाक के लिए क्षमा चाहता हूँ लेकिन हिंदी को रोमन में लिखने से जो अर्थ का अनर्थ हो रहा है उसको दिखाना बहुत आवश्यक है। कोई नहीं चाहेगा कि वो रोमन में हिंदी लिखकर वो इस प्रकार की हँसी का पात्र बने। आप जो सोच कर लिख रहें हैं आवश्यक नहीं कि सामने वाला वही पढ़ पाए। इसमें बहुत खतरा हो सकता है। कितने ही शब्द तो इतने भ्रामक और भद्दे हो जाते हैं कि यहाँ लिखा नहीं जा सकता।
२ ये शब्द क्या पढ़ा जाएगा : MORE
ये अंग्रेजी शब्द मोर है , जिसका अर्थ है अधिक।
लेकिन किरण मोरे अपने नाम को KIRAN MORE लिखते हैं जिसको कई लोग , खासकर विदेशी , किरन मोर पढ़ते हैं।
३ ये शब्द क्या पढ़ा जाएगा : DOOR
ये अंग्रेजी डोर है , जिसका अर्थ है द्वार या दरवाजा।
delhi bahut door hai… यहाँ पर ये नहीं कहा जा रहा है कि दिल्ली में बहुत दरवाजे हैं बल्कि ये कहा जा रहा है कि दिल्ली बहुत दूर है।
४ ये शब्द क्या है : TAIL . अंग्रेजी में ये टेल या पूँछ है।
apka tail to bahut achchha hai .
अब यहाँ लिखने वाला कह रहा है कि आपका तेल तो बहुत अच्छा है। और आपने सोचा कि आपकी पूँछ की बात रहा है और आप बुरा मान गए।
इस त और त की समस्या से बचने के लिए लोग तरह तरह के उपाय करते हैं . दक्षिण भारतीय लोग अजित नाम को अजिट ना पढा जाए इसलिए AJITH लिखते हैं जिसे उत्तर भारतीय लोग अजिथ पढने लगते हैं . रोमन का भ्रम जाल पीछा नही छोड रहा .
५ आपने रोमन में हिंदी शब्द ‘इस’ लिखने का प्रयास तो किया ही होगा , आपने is लिख भी दिया। ये क्या ? पढ़ने वाला तो इसको इज़ पढ़ सकता है (what is this?) । उसके लिए अब आपको जुगाड़ करना पड़ेगा , एक और s जोड़ो iss लिखों ,लेकिन ये तो इस्स हो गया। अजीब मुसीबत है।
६. आप रोमन में हिंदी शब्द अरे लिखने का भी प्रयोग करें तो शायद are लिखें? लेकिन ये तो अंग्रेजी आर हो गया ( who are you?) अब फिर जुगाड़। इसमें शायद y लगाएँ और arey लिखें। लेकिन ये तो अरेय हो गया। बुरे फँसे।
७. इसको पढ़ने का प्रयास करें।
daal daal do
डाल डाल डू ? ये क्या बला है ?
वस्तुतः लिखने वाला कहना चाहता है कि “दाल डाल दो” अब एक daal को आप दाल पढ़ें और दूसरे daal को डाल पढ़ें। यहाँ कोई जुगाड़ नहीं हो सकता।
इसका एक और प्रयोग है। ये वाक्य को पढ़ें
aur daal do
और दाल दो या और डाल दो ?
८. wo kapade dho rha hai ?
बताइये कि ये व्यक्ति कपडे धो रहा है या कपडे ढो रहा है ? यहाँ भी कोई जुगाड़ नहीं हो सकता।
कुछ भी करके रोमन में धो और ढो का भ्रम आप समाप्त नहीं कर सकते।
९. राम का रामा (Rama) हो जाने जैसे सैकड़ो उदाहरण तो हर कोई जनता है।
लेकिन इसको भी गंभीरता से शायद न सोचा हो।
राम और रमा एक साथ जा रहे हैं. इसको रोमन में कैसे लिखेंगे ?
Rama aur Rama ek saath ja rahe hain? क्या कोई इस वाक्य को समझ पायेगा ?
Rama से मिलते जुलते तो फिर भी दो ही उच्चारण हैं और किसी का अर्थ भी अनर्थ नहीं हो रहा।
लेकिन यदि ये शब्द किसी का नाम है तो बताइये आप इसे क्या पढ़ेंगे ? :- nala
क्या ये नाला है ? नाला को किसी का नाम नहीं होता। ये नाम प्रसिद्ध राजा नल का है। नल दमयन्ती की कहानी अंग्रेजी में पढ़ने पर ये हास्यास्पद नाम हो जाते है।
१०. ये शब्द क्या है ? Kala
ये कला है ये काला है ? लोग कला और काला दोनों के लिए रोमन Kala का प्रयोग करते हैं।
कल ,काल, कला, काला ये सभी शब्द हिंदी में हैं , इनके अलग अलग अर्थ हैं। इनको कैसे लिखोगे और पढोगे आप रोमन में। इन सबको kala ही लिखा जायेगा।
११. अंत में रोमन हिंदी पर ये सुन्दर शेर
नादान न होते तो आज हम भी किसी की बाँहों में होते ,
उसने CUTE (क्यूट ) लिखा और हम कुत्ते समझकर खफा हो गए।
उसने लिखा SALE MAIN JA RAHI HOON (सेल में जा रही हूँ ),
हमने समझा “साले मैं जा रही हूँ” .
वो चली गई और हम देखते रह गए।
ऐसे सैकड़ों उदाहरण है जिनमे से कुछ के प्रहसन बनाकर मैंने सोशल मिडिया पर प्रेषित भी किये थे।
आप समझ सकते हैं कि रोमन में लिखने में सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। हिंदी को रोमन में लिखने से हास्यपद कुछ और नहीं हो सकता।
रोमन के कारण तेंडुलकर का तेंदुलकर हो गया , हर उत्तर भारतीय ये नाम गलत लेता है।
सोमण का सोमन हो गया , और तो कुछ स्थानों पर तो प्रधानमंत्री मोदी का मोड़ी हो गया।
Kangana Ranaut का नाम रनोट , रनौत , राणावत , क्या क्या नहीं पढ़ा जा सकता।
फिर भी कितना भी हास्यास्पद ये बेढंगा हो और भाषा की दिशा तो समाज ही तय करता है। हिंदी की दिशा अभी तो रोमन की ओर नहीं है. आप कह सकते हैं तो सोशल मीडिया पर लोग हिंदी को रोमन में ही लिखते हैं , लेकिन ऐसा पहले भी हो चुका है। हिंदी एक समय फ़ारसी लिपि में भी लिखी जाती थी। ऐसे थोड़े बहुत प्रचलन और फैशन समाज में आते है जो कुछ समय बाद स्वतः समाप्त हो जाते हैं।
इस प्रचलन का कारण है कि इंटरनेट के शुरुआत में हिंदी में टाइप करने की सुविधा ना होने के कारण लोगों को रोमन की आदत पड़ गई। जो छूटने में थोड़ा समय तो लगेगा लेकिन हिंदी में लिखने वाले बढ़ते ही जा रहे हैं। जो एक बार हिंदी में लिखना आरम्भ कर देता है वो फिर छोड़ता नहीं।
दूसरी बात मराठी , कोंकणी , नेपाली , संस्कृत ,पाली , जैसी अनेक भाषाओँ में देवनागरी का प्रयोग हो रहा है। ये प्रयोग बढ़ रहा है घट नहीं रहा। देवनागरी भविष्य की विश्वनागरी है। यदि प्रयास हो तो चीनी , जापानी , अरबी , बर्मी , सिंघली , बांगला, गुजराती ये सभी भाषाएँ देवनागरी में लिखी जा सकती हैं।
कुछ वर्षों पहले तक मैं सोशल मीडिया पर केवल अंग्रेजी में ही लिखता था। लेकिन जब हिंदी पढ़ने लिखने वाला बड़ा वर्ग सोशल मीडिया पर आने लगा तो मैंने हिंदी लेखन को ही अपना प्राथमिक लेखन बना लिया। समय के साथ ऐसे बदलाव आते रहते हैं।
चीनी जापानी लिपियाँ तो और भी जटिल लेकिन ये जटिलताएँ तब नहीं होती जब वो आपकी मातृभाषा हो।
रोमन लिपि बहुत ही जटिल और बेढंगी है , इसके सरल प्रतीत होने कारण भारतीयों द्वारा अंग्रेजी को समर्पित किये जाने वाला बहुत अधिक समय।
एक सामान्य भारतीय विद्यार्थी अपने श्रम का करीब 40 प्रतिशत भाग केवल अंग्रेजी को दे देता है। तब क्या वो किसी और विषय को गहराई से पढ़ सकता है ? क्या दूसरों की तुलना केवल आधा समय विज्ञान को देकर हम वैज्ञानिक बन सकते हैं , जबकि हमारे यहाँ संसाधन कम है हमे तो और अधिक समय मूल विषयों को देना चाहिए।
अंग्रेजी हमारे शोध की क्षमता को ऐसे चूस गई जैसे जोंक खून चूसती है , लेकिन अंतर ये है कि हमे इस शोषण का अहसास नहीं है। हम इस भ्रम में जी रहे हैं कि अंग्रेजी से विकास हो रहा है।
आँकड़े ये बताते हैं कि मातृभाषा ही सर्वश्रेष्ठ है। जहाँ पर अंग्रेजी मातृभाषा नहीं है , उनके अंग्रेजी खूब अपनाने के बाद भी क्या दुर्दशा है आप देख सकते हैं। इन आँकड़ो के स्रोत चित्र में दिए गए हैं आप स्वयं भी पुष्टि कर सकते हैं। लोगों ये जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कैमरून , युगांडा , नाइजीरिया जैसे गरीब देशों में अधिकांश लोग अंग्रेजी बोलते हैं पर इन देशों का विकास नहीं हुआ ना ही लोगों को रोजगार मिला।
अंग्रेजी रोजगार से तब ही जुडी दिखाई देती है जब तक अंग्रेजी बोलने वाले कम होते हैं। अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या बढ़ते ही इसका मूल्य भारत में समाप्त हो जायेगा। ये विडम्बना ही है कि अंग्रेजी वृद्धि उसकी समाप्ति का कारण बनेगी। इसका उपयोग मात्र बात करना है कुछ और नहीं।