हिन्दी का गधा और उल्लू संस्कृत के गर्दभ एवं उलूक से हैं। इनके विशेष गुण मनुष्यों में भी जब मिल जाते हैं तो उन्हें भी इसी नाम से जाना जाता है, किन्तु सामने कहने का साहस न होने से प्रायः यह उपाधि परोक्ष में ही दी जाती है। ऐसे प्रयोग मुहावरा या लाक्षणिक प्रयोग कहलाते हैं।
गधा को गदहा भी कहा जाता है। इसकी व्युत्पत्ति इस प्रकार है।
संस्कृत [ गर्दभ ] -> [ प्राकृत ] गद्दह -> हिन्दी [ गदहा ]
यदि आप संस्कृतज्ञ होने की धाक जमाना चाहें तो डॉक्टर को भी गदहा कह सकते हैं क्योंकि -
[ गद (=रोग) + हा (=हरने वाला) ]
यदि आप यह खतरा उठाने को तैयार हैं तो ध्यान रहे कि अपना शिरस्त्राण साथ लेकर जाएँ। अपनी सुरक्षा आपको स्वयं करनी होगी
अस्वीकरण :- मेरे मन में डॉक्टरों के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है अपितु उनके लिए अपार स्नेह और सम्मान है!