गिनतारा ( या अबेकस ) गणित को आसान नहीं बनाता बल्कि गणना को आसान बनाता है। गणित तो संख्याओं से कहीं अधिक का विषय है। लेकिन सांख्यिक गणना भी महत्वपूर्ण है इसमें संदेह नहीं । गणना तेज होने के बहुत लाभ हैं खासकर बचपन और विद्यार्थी जीवन में। तेज गणना आपका बहुमूल्य समय बचाती है। व्यावहारिक जीवन में भी अधिकांश हिसाब किताब अंको के गुणा भाग और जोड़ वाले ही होते हैं , वहाँ भी इसका लाभ हो सकता है।
मानव मस्तिष्क प्राकृतिक तौर पर गणना इत्यादि करने के लिए नहीं बना है। इसमें मस्तिष्क को कई अन्य कार्यों की तुलना में अधिक प्रयास करना पड़ता। लेकिन अबेकस के अभ्यास से गणना भी मस्तिष्क के लिए एक प्राकृतिक कार्य बन सकती है।
मानव मस्तिष्क दिखाई देने या करने वाली चीजों में प्राकृतिक तौर पर अच्छा होता है। जैसे साईकल चलाना , तैरना , दौड़ना। ये चीजे अभ्यास के बाद प्राकृतिक हो जाती हैं। एक बार अभ्यास हो जाए तो फिर आप बिना सोचे ही सही से साईकल चला सकते हो। आपने बचपन में गिर गिर जो चलना सीखा है , अब वो मस्तिष्क के प्राकृतिक हो चुका है। अब बिना विचार के ही आप चल या दौड़ सकते हैं।
लेकिन गणना दिखाई नहीं देती उसमे हाथ पैरो का प्रयोग नहीं होता , इसलिए मस्तिष्क उसमे धीमा होता है। काफी अभ्यास के बाद भी गणना मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक नहीं होती है। जब आप अबेकस के प्रयोग से गणना करने लगते है , तो आप संख्याओं को देखते हैं और हाथों से गणना करते हैं। इस तरह अबेकस की प्रक्रिया आपके मस्तिष्क में छपने लगती है। धीरे धीरे ये अभ्यास इतना प्राकृतिक हो जाता है कि अबेकस की आवश्यकता ही नहीं रहती , लेकिन मन में ऐसे ही होती है जैसे अबेकस का प्रयोग हो रहा हो , ये गणना कैलकुलेटर के प्रयोग से अधिक तेज होती है। जितना समय व्यक्ति को कैलकुलेटर में संख्या अंकित करने में लगता है , उससे पहले ही बच्चा गणना समाप्त कर लेता है। अबेकस का चमत्कार यही है कि वो गणना को भी अन्य मानव शरीर के चलने , फिरने की तरह प्राकृतिक बना देता।
यदि आप किसी अबेकस के पारंगत व्यक्ति को मन में गणना करते हुए देखेंगे तो पाएँगे कि उसकी अंगुलियाँ धीरे धीरे हिलती हैं , जैसे कि वो मन में अबेकस के बीज ऊपर नीचे कर रहा हो।
अबेकस के कई प्रकार हैं लेकिन भारत में पाँच बीज वाला प्रचलित है। ये एक जापानी अबेकस है , जिसको सोरोबोन (Soroban ) कहा जाता है। वैदिक गणित काल में भारत में भी अबेकस का खूब प्रयोग होता था। इसकी हर छड़ी में पाँच बीज होते हैं। हर छड़ी के बीज एक क्षैतिज आधार द्वारा एक और चार में विभाजित होते हैं। हर छड़ पर एक अंक अंकित किया जाता है। जो बीज आधार की और सरकाए गए हैं उनको गिनकर अंक बनता है। यदि कोई बीज आधार की और नहीं सरकाया गया है तो उस छड़ पर शून्य अंकित है। ऊपर वाला बीज 5 अंक का होता है और नीचे वाला बीज 1 अंक का होता है . इस प्रकार एक छड़ी पर 0 से 9 तक अंक बना सकते हैं।
संख्याओं की तरह ही सीधे हाथ की पहली छड़ इकाई की होती है , फिर दहाई , सैकड़ा इत्यादि। इस प्रकार नीचे के अबेकस में नौ अंको तक की संख्या अंकित हो सकती है। सबसे बड़ी संख्या 999999999 होगी।
नीचे के अबेकस इकाई की छड़ पर पाँच अंकित है और दहाई की छड़ पर चार। इस प्रकार कुल एक लाख तेईस हजार पैंतालीस (12345) सीधे हाथ की पाँच छड़ियों पर अंकित है। शेष चार छड़ियों पर शून्य हैं। पाँच या उससे अधिक अंक अंकित करते के लिए ऊपर वाले बीज का प्रयोग होता है , जिसका मान पाँच है।
इस प्रकार अगले अबेकस पर 6912 अंकित है। 6 अंक अंकित करने के लिए एक ऊपर वाले और एक नीचे वाले बीज का प्रयोग हुआ. ऊपर वाले का मान 5 है और नीचे वाले का 1 इस प्रकार 5+1 = 6
अंको को जानने के बाद आप जोड़ने घटाने की विधि सीखते हैं और उसका एक विशेष क्रम में अभ्यास करते है। इसके बाद गुणा और भाग की विधियाँ सीखी जाती हैं। अबेकस विधियाँ तो सरल हैं। ये विधियाँ वैदिक गणित के गणना के तरीके ही हैं। लेकिन मात्र विधि जानने का लाभ नहीं होता। उनका अबेकस पर अभ्यास करना आवश्यक है। उन विधियों के उल्लेख से उत्तर बड़ा हो जायेगा, और पूरा वर्णन प्रश्न का उद्देश्य भी नहीं।
कोई भी सिद्धि प्राप्त करने में समय लगता है। दैनिक आधा या एक घंटे के अभ्यास से , अबेकस में पारंगतता छह महीने से लेकर एक वर्ष में आती है। फिर उसका लाभ जीवन भर मिलता है।
अभ्यास हो जाने के बाद अबेकस के प्रयोग की आवश्यकता नहीं रहती। मस्तिष्क स्वतः अबेकस के बीजों के कल्पना करके उन्हें घुमा कर जोड़ घटा लेता है। ये गणना अबेकस के प्रयोग से भी तेज होती है। नीरस गणना की तुलना में अबेकस पर गणना एक प्रकार का खेल ही होती है , जिसमे बच्चों को आनंद भी आता है।
अति सरल संख्याओं से आरम्भ करके धीरे धीरे बड़ी बड़ी संख्याओं का अभ्यास किया जाता है। अबेकस में पारंगत बच्चे परीक्षाओं में बहुमूल्य समय बचते है। गणित ओलम्पियाड में अबेकस का अभ्यस्त छात्र एक घंटे के प्रश्न पत्र में 10 मिनट बचा सकता है , जो सामान्य प्रदर्शन और उत्कृष्ट प्रदर्शन में अंतर का कारण हो सकता है। भारत के कुछ शहरों में ये बहुत लोकप्रिय हो चुका है। मेरे जिन मित्रों के बच्चों ने इसको किया सबका सकारात्मक परिणाम है।
“All Japan Soroban Championship” में अबेकस का अभ्यास करने वाले बच्चों ने तीन अंको की 15 संख्याओं को मात्र डेढ़ सेकेण्ड में जोड़ दिया था।
कई शोधो के दावे हैं कि अबेकस के लाभ मात्र गणित और गणना से अधिक होते हैं।
गिनतारा या अबेकस की शिक्षा और अभ्यास निश्चित तौर पर लाभदायक है। ये स्कूलों में शामिल हो तो बहुत अच्छा है। ये आरंभिक गणित की शिक्षा में क्रन्तिकारी हो सकता है।