अपने-आप में हिन्दी अथवा संस्कृत भाषा में आशुम नाम का कोई शब्द नहीं है। वर्तमान समय में अनूठे नाम रखने की परम्परा बन गई है; यह भी उनमें से एक है। ऐसे नाम निरर्थक भी हो सकते हैं। किन्तु इस नाम के बारे में एक शुभ समाचार है कि संस्कृत व्याकरण के नियमों के अनुसार इसकी व्युत्पत्ति समझी जा सकती है। हम यह मान कर चलें कि जिस प्रकार शुभ को बनाकर शुभम (शुभ की बहुलता वाला) लिखा जाता है उसी प्रकार आशु को आशुम का रूप दिया गया है।
संस्कृत भाषा में एक शब्द है आशु (अश्-व्याप्तौ उण्); यह शब्द अश् धातु से रचा गया है। जिससे आशु का अर्थ वह जो सभी स्थानों पर व्याप्त हो। इसका नपुंसकलिङ्ग स्वरूप है आशुम् (आशुं भी लिखते हैं) ।
ऋग्वेद से इस शब्द का उदाहरण प्रस्तुत है :—
आ॒शुं दू॒तं वि॒वस्व॑तो॒ विश्वा॒ यश्च॑र्ष॒णीर॒भि ।
आ ज॑भ्रुः के॒तुमा॒यवो॒ भृग॑वाणं वि॒शेवि॑शे ॥४॥आ॒शुम् । दू॒तम् । वि॒वस्व॑तः । विश्वाः॑ । यः । च॒र्ष॒णीः । अ॒भि ।
आ । ज॒भ्रुः॒ । के॒तुम् । आ॒यवः॑ । भृग॑वाणम् । वि॒शेऽवि॑शे ॥ ४
भावार्थ :—
(हे अग्नि) द्रुतगामी, विवस्वत के दूत, केतु स्वरूप अपनी विशेषताओं से सभी का उपकार करने वाले, आपको सभी मनुष्य अपने घरों में स्थापित करते हैं।
टिप्पणी :—
यहाँ आशुम् शब्द का मूल अर्थ है द्रुतगामी, तीव्र गति से चलने वाला; जिसे अग्नि देवता की उपमा के रूप में प्रयोग किया गया है; अतः अग्नि भी इसका अर्थ स्थापित होता है।
(आशुम के अनेक अर्थ; अग्नि, अश्व, सक्रिय, एवं तीव्रगति; समेटे हुए यह चित्र pintrerest से)
आशुम् शब्द के अन्य अर्थ हैं :—
-
शीघ्रता से आवागमन करने वाला, तीव्र, तेज, त्वरित
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घोड़ा (अश् धातु से रचा अश्व भी घोड़े के लिए प्रयोग किया जाता है; ऋग्वेद में कुछ स्थानों पर अश्व के स्थान पर आशु शब्द का प्रयोग किया गया है)।
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वर्षा ऋतु में शीघ्र पकने वाले चावल की किस्म
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कुछ भी चतुराई से करने वाला
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सक्रिय, शीघ्र, तुरन्त
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जिसे सर्वत्र जाना जाता हो, विख्यात, प्रसिद्ध
इसी से सम्बन्धित आशुम (अश्-व्याप्तौ + बाहुलकात् उमः ।); अतः आशुम वह है जो बहुत ही व्यापक हो; जिसकी गति अधिक हो। यह शब्द संस्कृत विहङ्गम में नहीं मिलता। किन्तु, इसकी व्युत्पत्ति उपरोक्त प्रकार से होती है। ध्यान रहे कि ‘उम’ प्रत्यय को गुण के अभाव वाला ( उम नि॰ गुणाभावः) भी कहा गया है। वैसे, हम हिन्दी भाषी आशुम को आशुम् ही उच्चारित करते हैं।
विशेष टिप्पणी :—
१
अश् धातु के दो रूप हैं :—
अश् अशूँ व्याप्तौ सङ्घाते च स्वादिः, आत्मनेपदी, सकर्मकः, वेट् (फैलना, राशि करना, ढेर करना) — धातुपाठ ५.२० (कौमुदीधातुः-१२६४)
तथा
अश् अशँ भोजने क्र्यादिः, परस्मैपदी, सकर्मकः, सेट् (खाना, भोजन करना) — धातुपाठ ०९.००५९ (कौमुदीधातुः-१५२३)
अतः आशुम का एक अर्थ बहुत खाने वाला भी हो सकता है।
२ किसी ने आशुम नाम हिन्दी भाषा में न मिलने से अंग्रेजी भाषा में गूगल किया गया है। जिसमे Ashum के एक नामों का अर्थ बताने वाली वेबसाइट से निम्न अर्थ दिए गए हैं :—
महान नेता, समस्या से बचने वाला, अच्छा न्यायाधीश।
समस्या यह है कि इस पोर्टल पर इस शब्द की व्युत्पत्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह किस भाषा का है? किस देश का है? क्या इसका उच्चारण वास्तव में आशुम है भी अथवा नहीं?
मेरा व्यक्तिगत मत है कि नाम देते समय ऐसे किसी पोर्टल पर दिए गए अर्थ के आधार पर नामकरण करने से बचें। इस प्रकार के नाम यदि मानक शब्दकोश में नहीं मिलते तो यह भी हो सकता है कि आप नामकरण में ऐसा नाम रच लें जिसका अर्थ अनर्थकारी हो। यदि नया नाम रचना चाहते हैं तो संस्कृत मूल धातुओं के आधार पर नाम रच सकते हैं; यह जानते हुए कि उनमें जो उपसर्ग अथवा प्रत्यय लग रहे हैं उनका अर्थ क्या है।
अरबी मूल धातुओं से भी नाम रचे जा सकते हैं। जैसे यह नाम यदि अरबी أَشَمَّ (आशम्म) से लिया गया हो तो यह ऊँचा, घमण्डी, अच्छी सूंघने की शक्ति वाला आदि अर्थों में है। किन्तु किसी भी भाषा से नाम चुनने से पूर्व एक अच्छे शब्दकोश को अवश्य देखें।
© अरविन्द व्यास, सर्वाधिकार सुरक्षित।
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