कुछ ऑनलाइन शब्दकोशों में अत्याधिक को अत्यधिक से कुछ भिन्न अर्थ में प्रयुक्त किया है। किन्तु अत्याधिक को कभी किसी पुस्तकीय शब्दकोश में नहीं देखा। अत्याधिक तो मुझे एक वर्तनी त्रुटि ही दिखती है।
सम्भवतः @Suresh_Pant1 जी इस शङ्का का निवारण कर पाएँ।
मेरे विचार से तो अत्याधिक गलत ही है और कहीं भी प्रयोग में नहीं आना चाहिए।
मैं अंतिम निर्णय वाली भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहता , केवल इसलिए संभवतः और प्रतीत शब्दों का प्रयोग किया है।
‘इको यणचि’ अष्टाध्यायी के सूत्रानुसार इक= इ, उ, ऋ, ऌ(हृस्व या दीर्घ) के बाद यदि असमान स्वर आए तो…
इ–> य्, उ–> व्, ऋ–> र् और ऌ–> ल् होने का आदेश होता है किन्तु इनमें परे आने वाले स्वर की मात्रा यथावत् जुड़ जाने की व्यवस्था है…
अत: अति+अधिक= अत्यधिक ही उपयुक्त शब्द है… यही प्रयुक्त भी होता रहा है… किंतु पिछले कुछ वर्षों में अज्ञानता और शुद्धता के प्रति उपेक्षा (यह कहकर कि सब चलता है) के कारण लोग ‘अत्याधिक’ लिख रहे हैं|
प्रायः जानकार लोग भी चुप रह जाते हैं!