अक्षवती (खेल) के बारे में कुछ जानकारी

अक्षवती को अक्ष अर्थात पाँसों से खेला जाता है। यह एक प्रकार की द्युतक्रीडा (जुआ) है।

यथा कल्पद्रुम के अनुसार :—

अक्षवती स्त्री, (अक्षाः पाशकाः सन्ति अस्याम इति मतुप् । लोकात् स्त्रीत्वं ।) द्यूतक्रीडा । पाशाखेला इति भाषा । इत्यमरः ॥

इस खेल को द्यूत, अक्षवती, कैतव, पण, दुरोदर, आकर्ष, आदि नामों से भी जाना जाता रहा है।

यह अक्ष (पासा / पाँसा) को तद्धित मतुप् (वाला के अर्थ में शब्द बनाने के लिए) तथा डीप् (स्त्रीलिङ्ग शब्द की रचना करने वाला) प्रत्यय लगाकर रचा गया है। अतः अक्षवती पाँसों वाली क्रीडा है।

(कौरवों तथा पाण्डवों के मध्य अक्षवती क्रीडा का चित्रण)

सर्वैर्भवद्भिर्विदितं यथाऽयं युधिष्ठिरः सौबलेनाक्षवत्याम्।
जितो निकृत्याऽपहृतं च राज्यं वनप्रवासे समयः कृतश्च ।।

— ५.१.१० (श्रीमन्महाभारते उद्योगपर्वणि सेनोद्योगपर्वणि प्रथमोऽध्यायः)

(श्री कृष्ण कहते हैं कि)

सभी इसे वैसे ही जानते हैं जैसे यह है कि अक्षवती में सौबल (शकुनि की उपाधि) द्वारा युधिष्ठिर का राज्य को जीत लिया गया और अपमान से छीन लिया गया और वन प्रवास का समय आया।

© अरविन्द व्यास, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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