हिन्दी गिनती शब्दों का मानकीकरण

हिन्दी गिनतियों के विषय में प्रश्न उठते रहते हैं कि अक्सर प्रश्न आते रहते हैं कि उनतालीस होगा या उनचालीस , छह सही है या छः। कुछ संख्याओं के लिए एक से अधिक शब्द भी सही हैं और कुछ शब्द के गलत रूप भी प्रचलन में आए हैं।

इसलिए केन्द्रीय हिंदी निदेशालय का मानकीकृत रूप देखना आवश्यक है। सभी संख्यावाचक शब्दों का हिंदी मानकीकरण ये है।

उनतालीस और उनचालीस में से चुनाव करते समय प्रथम दृष्ट्या उनचालीस सही प्रतीत हो सकता है , लेकिन तालीस वाले रूप के मूल में संस्कृत और प्राकृत के शब्द हैं इस कारण सही रूप उनतालीस ही है। मराठी में उनचालीस प्रचलित होने के कारण भी ये भ्रम थोड़ा अधिक बढ़ सकता है।
उनतीस इत्यादि का उच्चारण समाज में उन्तीस भी प्रचलित है , ये ध्यान देना चाहिए कि उनतीस बोला जाए उन्तीस नहीं।

मानकीकृत गिनतियों में मैं तैंतालीस जैसे कुछ शब्दों से सहमत नहीं हूँ , फिर भी जब तक कि ये बदलाव मानकीकरण द्वारा ही ना हो जाए इन्ही रूपों का प्रयोग होना चाहिए। असहमति के बावजूद, एकरूपता के लिए हमें उस दिशा में चलना चाहिए जो हम सबने मिलकर तय की है । नहीं तो हम किसी भी दिशा में आगे नहीं बढ़ेंगे। अपनी बात अवश्य रखूँगा लेकिन मानकीकृत स्वरूप का प्रयोग करूँगा।


अच्छा होगा कि निदेशालय हिंदी पाठक व लेखक समाज के विचार जानने का भी प्रयास करे।

तैँतालीस से अच्छा तिरालीस रूप है ये तीन के तिर- रूप का प्रयोग करता है जो तिरपन , तिरसठ , तिरासी , तिरानवे से मिलता है । तैँ रूप वाला वाला शब्द केवल तैँतीस है । तिरालीस प्रचलन में हैं और शेष संख्यावाचक शब्दों के अधिक निकट है , इसलिए इसका प्रयोग होना चाहिए।

तैँतीस , पैँतालीस , पैँसठ इत्यादि शब्दोँ की वर्तनी मेँ चंद्रबिंदु का प्रयोग हो तो ज्यादा सही है

अठारह से अच्छा अट्ठारह होता। अठारह केवल श्रुतिमूलक है , सही शब्द अट्ठारह है। अट्ठारह के ट पर जोर थोड़ा कम हो तो अठारह सुनाई देता है। अट्ठारह, अट्ठाईस , अट्ठावन जैसे संख्यावाचक शब्दों के समरूप भी है।

इसी प्रकार अट्ठहत्तर , अट्ठासी , अट्ठानवे सही रूप हैं , अठहत्तर , अठासी , अठानवे केवल श्रुतिमूलक हैं।


स्रोत

http://www.chdpublication.mhrd.gov.in/ebook/pdf/Devanagari_Lipi_and_Hindi_Vartani_ka_Mankikaran.pdf

पृष्ठ २३

© संदीप दीक्षित, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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हिन्दी की गिनतियों के आञ्चलिक उच्चारण भी हैं जो एक दूसरे से थोड़ा भिन्न होते हैं। मेरा विचार है कि वह सभी अपने स्थान पर सही हैं यद्यपि एक मानक उच्चारण भी आवश्यक है।

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सभी आञ्चलिक वर्तनियाँ या उच्चारण कहीँ पर दर्ज तो होने ही चाहिएँ , भले ही एक सँख्या के चार नाम प्रचलित हों तो चारोँ दर्ज हो जाएँ। लेकिन सही गलत का भेद तो होना ही चाहिए , जितने दर्ज हैं उनके अतिरिक्त सभी गलत हो। अमरकोश ये काम करने का माध्यम बन सकता है , यदि हम जनभागीदारी वाला विकल्प जोड़ दें तो।

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तैंतालीस, पैंतालीस और पैंसठ में चन्द्रबिन्दी ही है। वो मात्रा लगी होने के कारण केवल बिन्दी रखी हुई है।

जिस प्रकार ईंट में भी चन्द्रबिन्दी ही होती है, वो बस मात्रा के कारण दिखती नहीं है।

@Suresh_Pant1 @विनोद

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मात्रा के साथ चंद्रबिंदु ना लगाना ये भी मानकीकरण का परिणाम है