उपमान : समास और अलंकार के प्रसंग में!

उपमान का अर्थ :

किसी एक वस्तु (व्यक्ति) की समानता या तुलना किसी अन्य वस्तु (व्यक्ति) से की जाती है तो जिससे तुलना या समानता की जाए, उसे उपमान कहते हैं।

ध्यातव्य हो कि…

★ जिस वस्तु की उपमा दी जाए — उपमेय

★ जिस वस्तु से उपमा दी जाए — उपमान

● अलंकार के प्रसंग में उपमा, रूपक एवं उत्प्रेक्षा (अर्थालंकारों) की बात हो तो ‘उपमान’ का होना अनिवार्य होता है।

★ उपमा के चार अंग होते हैं—

  1. उपमेय
  2. उपमान
  3. समान धर्म
  4. वाचक शब्द

उदाहरण —

“हरिपद कोमल कमल-से ।”

उपमेय - हरिपद (भगवान कृष्ण के चरण)

उपमान - कमल

समान धर्म - कोमल

वाचक शब्द — से (सा, सी, से, सम, सौं, सदृश, सरिस, समान, तरह, जैसे, सरीखा, सरीखी, सरीखे आदि)

★ रूपक में गुणों समानता अथवा भावावेश के कारण उपमेय और उपमान का भेद ही कवि मिटा देता है।

जैसे — चरण-कमल वंदौं हरि राइ।

  • उपमेय — चरन (ईश्वर / श्रीकृष्ण का)
  • उपमान — कमल

★ उत्प्रेक्षा अलंकार में गुणों की समानता के कारण कवि उपमेय मे उपमान की सम्भावना कर लेता है।

जैसे - सोहत ओढ़े पीतपट , स्याम सलोने गातगात ।
नीलमणि सैल पर, आतप पर्यो प्रभात ।।

  • उपमेय — स्याम सलोने गात — उपमान — नीलमणि सैल(पर्वत)
  • उपमेय — पीतपट (पीला वस्त्र) उपमान — आतप (धूप / सूर्य की पीली किरणें)
  • वाचक शब्द — मनहुँ (मनु, मनहुँ, मानहुँ, जनु, जनहुँ, मानो, जानों, ज्यों)

:point_right:● ध्यातव्य हो कि उपमेय और उपमान में गुणों ( रूप, रंग ,आकार, भाव, क्रिया) के आधार पर समानता दिखाई जाती है।

◆ समास के संदर्भ में उपमान :

★ कर्मधारय समास में प्रथमपद (पूर्वपद) एवं द्वितीय (उत्तरपद) में दो प्रकार का सम्बन्ध होता है।

★ विशेषण - विशेष्य—

  • पीताम्बर, कृष्णसर्प, नीलगगन, श्वेताश्व।

★ उपमान-उपमेय —

  • रूपक सम्बन्धी — विद्यारत्न (विद्या रूपी रत्न) ग्रंथमणि (ग्रंथ रूपी मणि)
  • उपमा सम्बन्धी — कमलनयन (कमल के समान नयन)
  • घनश्याम — (घन अर्थात् बादल के समान श्यामवर्णी)

आशा है आलेख ‘उपमान’ को ठीक तरह से समझा सका होगा!

—© लेखिका

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इस लेख को शब्दकोश के उपमान शब्द से साथ दिखाया जा सकता है।

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अद्भुत @Neeraj_lata_Singh जी :clap:t4: :clap:t4:

आपने उपमान को बड़े ही सरल शब्दों में समझा दिया।

जी…दिखा तो सकते हैं!