‘ हूं ’ सही है या ‘ हूँ ’?

बिन्दु और चन्द्रबिन्दु मेँ अन्तर है । बालक हँस रहा है और हंस एक पक्षी का नाम है । हँस को हंस लिखना गलत है । यदि मात्रा के साथ ही मिलकर नाक से आवाज आती है तो चन्द्रबिन्दु का प्रयोग होना चाहिए जैसे हँस, माँ, हाँ । लेकिन बिन्दु की ध्वनि अलग से आती है मात्रा के साथ मिलकर नहीँ आती जैसे कंस, हंस ।

चन्द्रबिन्दु के स्थान पर बिन्दु का प्रयोग कभी छपाई की समस्या के कारण आरम्भ हुआ था लेकिन अब चलन मेँ आ गया है। बिन्दु का प्रयोग हर स्थान पर अकारण होने लगा है । इसके कारण बहुत से भ्रम होते हैँ और देवनागरी जैसी वैज्ञानिक लिपि मेँ यह प्रयोग अवैज्ञानिक भी है । गलत प्रयोग से बचेँ ।

गलत :- हूं , हां, मां, नहीं , मैं , क्यों, बच्चों, यहां, वहां, जहां, तहां, कहां …

सही :- हूँ , हाँ, माँ, नहीँ , मैँ, क्योँ, बच्चोँ, यहाँ, वहाँ, जहाँ, तहाँ, कहाँ, …

सही :- हंस, कंस, वंश, सिंह

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और उचित यह होगा यदि हम यह भी यहीँ स्पष्ट कर दे:
गलत :- रंक, पंख, रंग, कंघा, कंचन, पंछी, तंज, रांझा, टंटा, कंठ, पंडित।
सही :- रङ्क, पङ्ख, रङ्ग, कङ्घा, कञ्चन, पञ्छी, तञ्ज, राञ्झा, टण्टा, कण्ठ, पण्डित।

गांधी सही है या गाँधी :thinking:

गाँधी सही है क्योेंकि इसमें अनुनासिक है।

अन्य उदाहरण- ऐँ, हैँ, क्योँ, ज्योँ, त्योँ, रहेँ, कहेँ, वहीँ, यहीँ आदि मेँ भी चन्द्रबिन्दु ही उचित है।

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गन्ध से गान्धी बना है अतः यहाँ अनुनासिक है नहीँ तो गान्धी ही ठीक है न कि गाँधी।