संस्कृत भाषा का सबसे लंबा शब्द कौन सा है?

संस्कृत भाषा के सबसे बड़े शब्द के बारे में जानकारी देने से पूर्व इस शब्द की लेखिका के बारे में जानकारी देना आवश्यक है। विजयनगर साम्राज्य भारतीय कला, साहित्य, संस्कृति, आदि का एक महत्वपूर्ण संरक्षक था। इस साम्राज्य के सम्राट अच्युतदेव राय, जो 1529 से 1542 तक सम्राट रहे, की रानी तिरुमलाम्ब अतिविदुषी थीं। तिरुमलाम्बिका को “राजाधिराजाच्युतरायसार्वभौमप्रेमसर्वस्वविश्वासभुवा” (राजाधिराज अच्युतराय सार्वभौम के प्रेम का सर्वस्व विश्वास पाने वाली) कहा गया है। वे संस्कृत सहित अनेक भाषाओं पर अपना अधिकार रखती थीं। वे काव्यों, नाट्यो, काव्यशास्त्र, वेदों, तथा पुराणों की ज्ञाता थीं। चम्पू काव्य की शैली में उनका लिखा वरदाम्बिकापरिणयचम्पूः (वरदाम्बिका के विवाह का गद्यपद्यमय काव्य) संस्कृत के मनोहरी काव्यों में एक है। बाणभट्ट संस्कृत गद्य में लम्बे सामासिक शब्दों के प्रयोग के लिए विख्यात हैं; किन्तु, तिरुमलाम्ब इस कला में उनसे किसी प्रकार कम नहीं हैं। चम्पू काव्य के रूप में लम्बे शब्दों वाली यह कृति पद्यमय होने से बहुत सरस और पठनीय भी है।


अच्युतदेव राय तथा उनकी पत्नी वरदराजम्मा (वरदाम्बिका); चित्र स्रोत्र : File:Achyuta Deva Raya and his Queen.jpg - Wikimedia Commons

वरदाम्बिकापरिणयचम्पूः सम्राट अच्युतदेव राय के शासनकाल में लिखा गया था। इस काव्य के अनुसार अच्युतदेव राय ने मन्दिर में एक सुन्दर कन्या को देखा और प्रथम दृष्टि में ही प्रेम हो गया। यह कन्या सूर्यवंशी राजकुमारी वरदाम्बिका थी; जो माँ गौरी के दर्शन करने मन्दिर आई थी; ध्यानमग्न वरदाम्बिका ने आँखे खोली तो अच्युतदेव राय देखा और उन्हें भी प्रेम हो गया। दोनों अपने कर्त्तव्य के निर्वहन के लिए लौट गए किन्तु विरह में एक दुसरे के बारे में सोचते रहे; और जग को भूलने लगे। कुछ समय उपरान्त अच्युतदेव राय की ओर से विवाह के आग्रह का सन्देश आया और उनका धूम-धाम से विवाह सम्पन्न हुआ। कुछ समय उपरान्त उनके पुत्र वेङ्कटाद्रि का जन्म हुआ। जिसके युवराज्याभिषेक के साथ ही काव्य समाप्त होता है। इस काव्य के अन्त में लेखिका ने अपना परिचय भी प्रस्तुत किया है; जो सामान्यतया अन्य काव्यों में विरल है।

इस काव्य के एक खण्ड, तुण्डीरदेशवर्णनम्, में यह प्रसिद्ध शब्द मिलता है जिसे संस्कृत का सबसे बड़ा शब्द कहा जाता है। छप्पन शब्दांशों से रचा यह शब्द अनेक विशेषणों और उपसर्गो, प्रत्ययों से भूषित है।

निरन्तरान्धकारितदिगन्तरकन्दलदमन्दसुधारसबिन्दुसान्द्रतरघनाघनवृन्दसन्देहकरस्यन्दमानमकरन्दबिन्दुबन्धुरतरमाकन्दतरुकुलतल्पकल्पमृदुलसिकताजालजटिलमूलतलमरुवकमिलदलघुलघुलयकलितरमणीयपानीयशालिकाबालिकाकरारविन्दगलन्तिकागलदलालवङ्गपाटलघनसारकस्तूरिकातिसौरभमेदुरलघुतरमधुरशीतलतरसलिलधारानिराकरिष्णुतदीयविमलविलोचनमयूखरेखापसारितपिपासायासपथिकलोकान्


(चित्र स्रोत :— Archive.org)

छप्पन शब्दांशों से रचा यह शब्द अनेक विशेषणों और उपसर्गो, प्रत्ययों से भूषित है :—

  • निरन्तरान्धकारित (सदा अन्धेरे में रहने वाले)
  • दिगन्तर (अन्यत्र, अन्य स्थान पर) -
  • कन्दलदमन्द (फल-फूलों से युक्त)
  • सुधारस (फूलों का मधु )
  • बिन्दु
  • सान्द्रतर (उत्कट, प्रबल)
  • घनाघन (इन्द्र; बरसात करते मेघ)
  • वृन्द (दल)
  • सन्देहकर (सन्देह उत्त्पन्न करने वाला)
  • स्यन्दमान (चन्द्रमा; बहता हुआ)
  • मकरन्द (पुष्पों का रस)
  • बिन्दु
  • बन्धुरतर (सुखद, सुन्दर, आकर्षक)
  • माकन्द (आम के वृक्ष; माकन्दी पीला चन्दन)
  • तरु (वृक्ष)
  • कुल
  • तल्प (आसन, रक्षक)
  • कल्प (सक्षम, नृत्य)
  • मृदुल (सुकोमल, जल)
  • सिकता (बालू)
  • जाल
  • जटिल
  • मूल
  • तल
  • मरुवक (एक प्रकार की तुलसी के जैसी झाड़ी) -
  • मिलद (मिलते हुए )
  • लघु (छोटे)
  • लघु (छोटे)
  • लय (स्वर की मधुरता)
  • कलित (गुनगुनाते हुए, प्रेरित)
  • रमणीय (मनोरम)
  • पानीय (पोषित, संरक्षित; पानी)
  • शालिका (कुटिया, घर)
  • बालिका
  • करारविन्द (कमल जैसे हाथ)
  • गलन्तिका (पानी का झारा)
  • गलदेला (एक प्रकार का सरकण्डा)
  • लवङ्ग (लौंग का वृक्ष)
  • पाटल (गुलाब)
  • घनसार (कर्पूर, कपूर)
  • कस्तूरिकातिसौरभ (बहुत सुगन्धित कस्तूरी)
  • मेदुर (चिकने, घने)
  • लघुतर (छोटे)
  • मधुर (मीठे)
  • शीतलतर (बहुत ठण्डी)
  • सलिलधारा (जल की धारा)
  • निराकरिष्णु (निरोधक, रोकते हुए)
  • तदीय (उनके)
  • विमल (स्वच्छ, सुन्दर)
  • विलोचन ( नेत्र, दर्शन)
  • मयूख (प्रकाश की किरणें)
  • रेखापसारित (रेखाओं में बिखरती (अपसारित))
  • पिपासायास (प्यासे (पिपासु), थके (आयास))
  • पथिक
  • लोकान् (मनुष्य, देखना)

इस शब्द की सम्पूर्ण व्याख्या में ही अनेक पृष्ठ लग सकते हैं। किन्तु इसका भावार्थ प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूँ :—

इन यात्रियों की प्यास से होने वाले कष्ट को कन्याओं की तीखी आँखों की किरणों के गुच्छों ने दूर किया, प्रकाश-किरणें जो जलधाराओं पर हिलोर लेती थीं; इलायची, लौंग, केसर, कपूर और कस्तूरी की सुगंध युक्त मीठे और ठंडे पानी को कुमारियों के कमल-समान हाथ घड़े में धारण किए हुए; पैर सुकोमल रेत के आसन पर पड़ते थे , नए अंकुरित आम के पेड़ों के समूह के मध्यवर्ती स्थान को लगातार अंधेरा करते थे, और जो गुलाब आदि फूलों के रस की टपकती बूंदों के कारण और अधिक आकर्षक लगते थे, जैसे घने वर्षा वाले बादलों की एक पंक्ति का भ्रम पैदा करता है, जिसमें प्रचुर मात्रा में अमृत से भरा हो।

किन्तु, यह एक अकेला लम्बा शब्द नहीं है; शब्दों से शब्दों को शब्दों में बुनने में निपुण तिरुमलम्बा ने अनेक ऐसे दीर्घकाय शब्द रचे हैं। एक अन्य उदाहरण इसी शब्द के पूर्व का यह शब्द है :—

अनुकूल-जागरूक-विमल-कुसुम-कोरक-राजत-भाजन- विराजित-हारिद्र-कर्दम-कवल-जाल-लालनीय-परिपाक-कपिल- फलोत्कार-हारि-महाराम-कुटुंबि-नारङ्गलता-नताङ्गी-समुत्तरङ्गी- कृत-जनपद्‌-सौभाग्य-रमा-योग्यतम-द्वन्द्व-कन्दलदमन्द-विवाह-महोत्सवान्‌

इस पुस्तक को सम्पूर्ण रूप से यहाँ पढ़ सकते हैं :—

Varadambikaparinayacampu : Sarup,lakshman : Free Download, Borrow, and Streaming : Internet Archive

विशेष :—

गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स इसे विश्व के सबसे लम्बे शब्द के रूप में मान्यता देती है।

Lengthy concatenations and some compound, agglutinative and nonce words can be written in the closed-up style of a single word. The longest known example is a compound ‘word’ of 195 Sanskrit characters (transliterating to 428 letters in the Roman alphabet) describing the region near Kanci, Tamil Nadu, India, which appears in a 16th-century work by Tirumalãmbã, Queen of Vijayangara.

— Guiness Book of word records (Longest word)

(लंबे संयोजन और सन्धियों के से युक्त संयोगी शैली में अस्थाई रूप से एक शब्द में जोड़कर शब्दों को लिखा जा सकता है। सबसे लम्बे शब्द का ज्ञात उदाहरण 195 संस्कृत वर्णों (रोमन वर्णमाला में लिप्यंतरण 428 अक्षरों में) का एक मिश्रित ‘शब्द’ है, जो भारत के तमिलनाडु के काञ्ची के निकटवर्ती क्षेत्र का वर्णन करता है, जो विजयनगर की रानी तिरुमलाम्ब द्वारा 16 वीं शताब्दी की कृति में मिलता है।)


© अरविन्द व्यास, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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अद्भुत :clap:t4: :clap:t4:

क्या हम इतने बड़े शब्द को भी एक ही साँस में बोल सकते हैं?
क्या शब्द के बीच में साँस लेना व्याकरण सम्मत है?

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