हिन्दी विश्व की सरलतम भाषा

हिन्दी दिवस पर विशेष

विश्व की अनेक भाषाओं को सीख पाना इसलिए कठिन हो जाता है कि वे विचित्र अथवा विलक्षण हैं। भाषाओं के बीस सै अधिक सामान्य गुणों के तुलनात्मक विश्लेषण कर हिन्दी को सबसे कम विचित्रता वाली भाषा पाया गया है। इस विश्लेषण की जानकारी प्रस्तुत है।

भाषाविज्ञान की दृष्टि से एक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय शोध के अनुसार मेरा उत्तर है कि जो भाषाएँ उच्चारण तथा व्याकरण के नियमों के अनुसार विचित्र हैं वे अन्य भाषा-भाषियों के लिए सीखने में उतनी ही कठिन भी हैं। यह अध्ययन वर्ल्ड एटलस ऑफ लेंग्वेज स्ट्रक्चर (भाषाई संरचनाओं की विश्व-मानचित्रावली) ने प्रकाशित किया है।यह शोध भाषाविज्ञानी तथा डेटा-विज्ञानी टाइलर श्कोनबॉनेन (Tyler Schnoebelen) ने किया है।

भाषाओं के सरल अथवा कठिन होने के लिए उनकी असामान्यता के एक सूचकांक की गणना की गई है। यह सूचकांक भाषाओं के विचित्र अथवा असामान्य होने का एक परिमाण की गणना कर रचा गया है जो कि २१ मापदण्डों पर आधारित है। इनमें से कुछ मानदण्ड निम्नांकित हैं :

  • वाक्य में कर्ता तथा क्रिया का क्रम
  • कर्ता और विशेषण का क्रम
  • क्रिया तथा नकारात्मकता सूचक शब्द अथवा उपसर्ग अथवा प्रत्यय का क्रम
  • नकारात्मकता बताने के लघु परिवर्तन
  • काल सूचक परिवर्तन का स्थान
  • प्रश्नों का ध्रुवीकरण
  • सर्वनामक शब्दों की स्थिति
  • काकलकीय व्यञ्जन (क़ आदि) का होना
  • व्यक्तिगत सर्वनाम में लिङ्ग विभेद
  • उच्चारण के लिए निर्धारित निश्चित स्थान
  • असामान्य व्यञ्जनों की उपस्थिति

इन सभी मानदण्डों पर विश्व की २६७६ भाषाओं का विश्लेषण किया गया। इनमें से २३९ भाषाओं को अन्तिम सूची में सम्मिलित किया गया है, क्योंकि यह निकाली गई भाषाएँ सभी मानदण्डों पर उनको विश्लेषित नहीं की जा सकती हैं। इस सूचकांक में अधिकतम १ तथा न्यूनतम ० पाया जा सकता है।

इस क्रम में Mixtec (Chalcatongo) मिक्सतेक (चाल्कातोंगो) ०.९७२ के सूचकांक के साथ सबसे विचित्र भाषा रही। पहली ८ भाषाओं में अमेरिकी तथा अफ्रीका की भाषाओं को ही स्थान मिला है। ऐसी भाषाएँ जिनके नामों से हम हिन्दी-भाषी कुछ परिचित हैं उनमें कोंगो ०.८८३ के साथ आठवाँ, पूर्वी-आर्मेनियन ०.८६१ नवाँ तथा जर्मन ०.८५८ के साथ दसवाँ स्थान पाती हैं। अंग्रेजी को ०.७५६ के सूचकांक के साथ ३३वें स्थान पर स्थित है। मंदारिन-चीनी (०.७८८) का भी उपरी २५ भाषाओं में स्थान है।

अब सबसे कम विचित्र यानि साधारण भाषाओं की ओर आते हैं। इनमें नीचे की छह भाषाओं में हैं केन्टोनी-चीनी (०.१४३), हंगारियन (०.१३२), चामोर्रो (०.१२८), आइनु (०.१२८) , पुरेपेचा (०.१००) दिल थाम कर बैठें, सबसे निचले पायदान पर है हिन्दी (०.०८७)।

तात्पर्य यह है कि उच्चारण तथा व्याकरण के नियमों की दृष्टि से सबसे सरल भाषा है हिन्दी। अंग्रेजी एक अपेक्षाकृत कहीं कठिन भाषा है (विचित्र नियमों वाली भाषाओं के ऊपरी १५% में)।

कुछ अन्य कारण :heavy_minus_sign:

१. अंग्रेजी का विश्व-भाषा बनना उपनिवेशवादी प्रक्रियाओं का परिणाम है। किन्तु इस के साथ ही उन्होंने सत्रहवीं-अठारहवीं सदी से लैटिन को छोड़कर अंग्रेजी भाषा को दर्शन तथा विज्ञान की भाषा के रूप में उपयोगी भी बनाया। विश्व-व्यापार तथा उपनिवेश शासन की भाषा बनने का भी अंग्रेजी को बहुत लाभ मिला।

२. अंग्रेजी विचित्र इस कारण भी है क्योंकि यह जर्मानिक शाखा की भाषा है, किन्तु इसमें लगभग ६५% शब्द ग्रीक अथवा लैटिन मूल के हैं (जिनमें कुछ शब्दों का स्वरूप फ्रेंच से आने के कारण भिन्न है), इस पर जर्मानिक शाखा के इंग्लैंड में बसने से पूर्व की जो केल्टिक भाषाएँ ब्रिटेन में बोली जाती थी (ब्रेटॉन, वेल्श, पिक्ट आदि) उनके शब्दों का भी समावेश हुआ है। अतः अंग्रेजी भाषा की शब्दावली चार भाषा-शाखाओं (जर्मानिक, इतालवी, ग्रीक तथा केल्टिक) का समावेश होने से अनेक विरोधाभासी व्याकरण तथा उच्चारण के नियमों की खिचड़ी है। इसमें मुक्त रूप से अन्य कई भाषाओं के शब्द भी समाहित किये गये हैं। यह भी अंग्रेजी को विचित्र बनाता है, साथ ही इन कुछ शब्दों से परिचित होने से सभी को अंग्रेजी की ओर आकृष्ट भी करता है।

३. मेरे सम्पर्क में अनेक हिन्दी-प्रेमी आये हैं इनमें अधिकांश मध्य-एशिया अथवा अरब देशों के हैं, जो हिन्दी में प्रयुक्त फ़ारसी, अरबी तथा तुर्क भाषाओं से आये शब्दों से परिचित होने से आकृष्ट हुए हैं।


सन्दर्भ :—

“Just How Weird Are the World’s Weirdest—and least Weird—Languages? | Languages Of The World” Just How Weird Are the World’s Weirdest—and least Weird—Languages? - Languages Of The World

The weirdest languages

WALS Online - World Atlas of Language Structures

Tyler Schnoebelen कोरा-पृष्ठ

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ज्ञानवर्धक लेख के लिए साधुवाद :clap:t4: :clap:t4:

वैसे १४ सितम्बर राजभाषा दिवस होता है। सम्भवतः हिन्दी के राजभाषा होने के कारण इसको अनौपचारिक रूप से हिन्दी दिवस भी कहा जाता है।

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